भारत के आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपरा और वीरता को सम्मान देते हुए, छत्तीसगढ़ में देश का पहला डिजिटल संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है। यह संग्रहालय आदिवासी नायकों के बलिदान, साहस और संघर्ष की गाथाओं को संजोने का कार्य करेगा।
वीर नारायण सिंह: छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद
आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां पूरे देश के आदिवासियों के प्रेरणापुंज हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। उन्होंने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए शहादत दी। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है।
मुख्यमंत्री का दूरदर्शी निर्णय
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने वीर नारायण सिंह सहित सभी आदिवासी नायकों की स्मृतियों को सहेजने और भावी पीढ़ियों तक उनकी प्रेरणादायक गाथा पहुंचाने के लिए नवा रायपुर के सेक्टर-24 में इस संग्रहालय के निर्माण का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री के इस निर्णय से समूचा आदिवासी समाज गर्व से भर उठा है।

50 करोड़ की लागत से तैयार होगा भव्य संग्रहालय
प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा के अनुसार, लगभग 50 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह संग्रहालय अपने आप में अनूठा होगा।
यह देश का पहला डिजिटल संग्रहालय होगा, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकार्पित करेंगे।
प्रधानमंत्री की जनजातीय गौरव पहल
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की।
साथ ही, उन्होंने जनजाति समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पीएम जनमन अभियान और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना प्रारंभ की है। इन अभियानों के तहत आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जा रहा है।
अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित डिजिटल अनुभव
संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक बनाया गया है। यहां छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी विद्रोहों जैसे — हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान विद्रोह, तथा झंडा और जंगल सत्याग्रह की जीवंत झलक प्रस्तुत की गई है।
इन सभी को 14 अलग-अलग सेक्टरों में विभाजित किया गया है। यह अत्याधुनिक संग्रहालय वीएफएक्स टेक्नोलॉजी, डिजिटल स्क्रीन, प्रोजेक्शन सिस्टम, और क्यूआर कोड स्कैनिंग सुविधा से सुसज्जित है, जिससे आगंतुक डिजिटल अनुभव के माध्यम से इतिहास को जीवंत रूप में देख सकेंगे।
कला, संस्कृति और तकनीक का संगम
संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सरगुजा कलाकारों की नक्काशीदार पैनल, तथा 1400 वर्ष पुराने साल, महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृतियां बनाई गई हैं। इन वृक्षों की पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानियां उकेरी गई हैं, जो मोशन फिल्मों की तरह विद्रोहों की गाथा सुनाएंगी। यहां सेल्फी पॉइंट, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधाएं, ट्राइबल आर्ट से सजे फर्श, और भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह, तथा रानी गाइडल्यू की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।
छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति का वैश्विक केंद्र
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का कहना है कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति का वैश्विक केंद्र बनेगा।
यह स्थान न केवल वीर नायकों की स्मृति को जीवंत रखेगा, बल्कि नई पीढ़ी को उनके शौर्य और त्याग से प्रेरणा भी देगा।

