मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुशासन संवाद में नवाचारों की सराहना की
रायपुर, 13 अक्टूबर।
जिलों के नवाचारों की प्रस्तुतियाँ
जिलों के नवाचारों की प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम में रायपुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, जशपुर और उदंती वन अभयारण्य के नवाचारों की विस्तृत प्रस्तुति दी गई।
मुख्यमंत्री ने जिलों में हो रहे नवाचारों पर आधारित ‘कॉफी टेबल बुक’ का विमोचन किया और उन अधिकारियों की सराहना की जिन्होंने जमीनी स्तर पर योजनाओं को परिणाममुखी बनाया।
‘जशप्योर’ ब्रांड की सफलता
कार्यक्रम के दौरान ‘जशप्योर’ ब्रांड के स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों की सफलता का उल्लेख किया गया।
महुआ को सुपरफूड के रूप में स्थापित करने वाला भारत का पहला ‘महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ जशपुर में संचालित है।
अब ‘जशप्योर’ उत्पाद पाँच राज्यों में बिक रहे हैं और इनके विक्रय में 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
तकनीक आधारित प्रशासनिक नवाचार
मुख्यमंत्री ने नारायणपुर जिले के ‘डेटा प्लेटफॉर्म’ द्वारा नक्सल गतिविधियों की ट्रैकिंग और
दंतेवाड़ा में ब्लॉकचेन तकनीक से 7 लाख भूमि अभिलेखों के डिजिटाइजेशन को अत्यंत सराहनीय बताया।
उन्होंने अबूझमाड़ और दंतेवाड़ा में प्रशासन के हाई-टेक सिस्टम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यही आधुनिक छत्तीसगढ़ की दिशा है।
रायपुर की ‘टीम प्रहरी’ पहल
सुशासन संवाद में रायपुर जिले में जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस की संयुक्त पहल ‘टीम प्रहरी’ के कार्यों पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।
इस पहल के तहत अवैध अतिक्रमण हटाने, यातायात व्यवस्था सुधारने, और नागरिक शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।
नारायणपुर का ‘इंटिफाई’ डेटा प्लेटफॉर्म
नारायणपुर जिले में ‘इंटिफाई’ डेटा मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुतीकरण दिया गया,
जिसके माध्यम से नक्सल गतिविधियों की प्रभावी ट्रैकिंग की जा रही है तथा
शासकीय योजनाओं से संबंधित सभी आंकड़ों को एक ही प्लेटफॉर्म पर एकत्रित किया गया है।
दंतेवाड़ा में ब्लॉकचेन तकनीक से पारदर्शिता
दंतेवाड़ा जिले में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करते हुए 7 लाख भूमि अभिलेखों का डिजिटाइजेशन किया गया है,
जिससे भूमि संबंधी मामलों में पारदर्शिता और त्वरित समाधान सुनिश्चित हुआ है।
मुख्यमंत्री का संदेश: “सुशासन एक निरंतर प्रक्रिया”
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि सुशासन कोई एक दिन का लक्ष्य नहीं, बल्कि निरंतर सुधार की प्रक्रिया है।
इसके लिए हर अधिकारी को अपने भीतर से बदलाव लाना होगा।
उन्होंने कहा —
“हमारे छोटे-छोटे प्रयास ही विकसित छत्तीसगढ़ की बड़ी तस्वीर बनाएंगे।”
मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों से अपेक्षा की कि वे जनता के बीच जाकर योजनाओं का वास्तविक प्रभाव देखें,
तकनीक और अनुशासन को प्रशासन की संस्कृति बनाएं और राज्य को वर्ष 2047 तक विकसित भारत की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करें।