प्रिंसिपल द्वारा फीस के नाम से छात्रों से की जा रही अवैध वसूली..कोरोना की मार झेल रहे गरीब अभिभावकों पर प्रिंसिपल के फीस का वार पड़ रहा भारी…मनमानी फ़ीस नही, तो छात्रों का एडमिशन लटकाया..डीईओ के मौखिक आदेश की खुलेआम अवहेलना…परेशान परिजनों ने किया कलेक्टर भीम सिंह से लिखित में शिकायत।

रायगढ़। वैसे तो शिक्षक हमेशा से ही सर्वोपरि रहे हैं। आज भी वह सभी लोगों के लिए आदर्श और माननीय है। उनका महत्व इसी बात से पता चलता है कि वह बच्चों के लिए ऐसे पथ प्रदर्शक होते हैं जो अपने परिश्रम और तप से बच्चों के चरित्र का निर्माण करते हैं। वह बच्चों के प्रेरक है जो उन्हें कुछ कर दिखाने की प्रेरणा देते हैं। शिक्षक विद्यार्थिओं को आने वाले बेहतर भविष्य के लिए तैयार करते है। विद्यार्थी के मन में विषय संबंधित और जीवन संबंधित कोई भी दुविधा आये तो शिक्षक उस दुविधा को हल करने में हर मुमकिन कोशिश करता है। शिक्षक की मेहनत की वजह से कोई डॉक्टर ,कोई इंजीनियर ,कोई वकील ,पायलट ,सैनिक इत्यादि बन पाते है। अगर शिक्षक नहीं होंगे तो इन पद पर कोई व्यक्ति कार्यरत नहीं हो पाएंगे। लेकिन कुछ ऐसे भी शिक्षक हमारे समाज मे मौजूद हैं जिन्हें छात्रों के भविष्य से ज्यादा मोह फ़ीस की अवैध वसूली से है। आज तक आप किसी प्राइवेट स्कूल में मनमाने फ़ीस लेने की ख़बर पढ़ते औए हैं, लेकिन यह कारनामा जब एक वनांचल क्षेत्र के शासकीय स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा किया जा रहा हो तो एक बारगी यकीन करना मुश्किल होगा।

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कपरतुंगा के प्रिंसिपल द्वारा छात्रों से लिया जा रहा शासन विरुद्ध अधिकतम फ़ीस–

वनांचल क्षेत्र में स्थित शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय कपरतुंगा स्थित है, जहां कपरतुंगा के अतिरिक्त, परसदा, परसकोल, झिलगीटार, भालूपानी, छिंछपानी, जवाहरनगर,भाटाकोना, अमलीपाली, तेंदुआ, छातादेई, रोहिना, पाकरडीह समेत अन्य आसपास के विद्यार्थी अध्यन्नरत हैं। इन ग्रामो के विद्यार्थियों के लिए एकमात्र नजदीक और सरकारी स्कूल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कपरतुंगा ही है। जहां वनांचल क्षेत्र के भोले-भाले गरीब और मध्यमवर्ग के पालक अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सपने संजोये अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजते हैं, ताकि उनके कम आमदनी के बावजूद सरकारी अनुदानों और शासकीय योजनाओं के साथ उनके नॉनिहालों को अच्छी शिक्षा मिल सके।
लेकिन प्रिंसिपल एस के बंजारे की मनमानी फीस से कई ग़रीब बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। जबकि सरकार ने स्प्ष्ट निर्देश दिया है कि कोरोनकाल में परीक्षा फीस के अलावा कोई भी अतिरिक्त शुल्क न लिया जाये, परन्तु एस के बंजारे ने मानो इस कोरोनकाल को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है, और 10 वीं के छात्रों से 850 तो वहीं 12 वीं के विद्यार्थियों से 950 रुपये फीस लिया जा रहा है। अब सोचने वाली बात यह है कि जब प्रशासन ने परीक्षा शुल्क के अलावा कोई शुल्क न लेने की बात कही है, इसके बावजूद प्रिंसिपल की तुगलकी फ़रमान से सैकड़ों अभिभावक और छात्र पर आर्थिक संकट आन पड़ी है।

जिला शिक्षा अधिकारी के समझाईश का भी कोई असर नही..! फीस नही तो एडमिशन नही…

जब फीस की अवैध वसूली की बात पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री आदित्य ने मीडिया के सामने ही फ़ोन लगाकर कपरतुंगा के प्रिंसिपल को फटकार लगाई की परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त कोई अन्य शुल्क नही लिया जाये।तब प्रिंसिपल द्वारा सफ़ाई दी गयी कि अतिरिक्त शिक्षक के लिए चार्ज जोड़ा गया था,तभी जिला शिक्षा अधिकारी ने साफ शब्दों में चेताया कि आप कोई भी अतिरिक्त फीस नही लेंगे, और जिनसे लिए हैं उन्हें वापिस कर दें।

इस पर प्रिंसिपल एस के बंजारे ने अपने स्कूल में साफ निर्देश दे दिया कि अगर मुझे एक्स्ट्रा फ़ीस नही देंगे तो किसी बच्चों का एडमिशन नही लूंगा, और पालकों की माने तो कई छात्रों को प्रिंसिपल द्वारा स्कूल से एडमिशन नही लूंगा कहकर भगा दिया गया।

कलेक्टर से की गयी लिखित में शिकायत-

जब जिला शिक्षा अधिकारी की बात का भी कोई असर प्रिंसिपल एस के बंजारे को नही हुवा तो मजबूरन कलेक्टर भीमसिंह से लिखित में शिकायत किया गया, क्योंकि प्रिंसिपल खुलेआम भोले-भाले ग्रामीणों के साथ मीडिया को भी बरगलाने लगे कि ऊपर से आदेश आया है। और तो और प्रिंसिपल द्वारा जब विगत वर्ष हर किसी का फीस माफ कर दिया गया था तब भी 9 वीं से 12 वीं तक के कुछ विद्यार्थियों का फ़ीस लिया गया था, जिसे अभी तक वापिस नही गया।

मीडिया को देखते ही फाड़ दिया गया चस्पा की गयी आदेश कॉपी-
पूर्व में ही अतिरिक्त शुल्क के रहे प्रिंसिपल से जब मीडियाकर्मियों द्वारा प्रिंसिपल से आदेश की कॉपी दिखाने की बात की तो बाहर चस्पा करना बताया जिसे मीडिया के पहुंचते ही बीच से उनके स्टाफ द्वारा फाड़ दिया गया।

सवाल पूछने पर झूठे एफआईआर में फंसाने की खुलेआम धमकी- जब उनसे कल कुछ ग्रामीणों ने फीस के मामले में सवाल पूछा तो उनको अंदर करवाने की धमकी दी गयी..! जिससे ग्रामीण अब स्कूल जाने और हक की आवाज़ निकालने से भी डर रहे हैं।

उग्र आंदोलन करने बाध्य होंगे अभिभावक और छात्र-!

अभिभावकों ने मीडिया को बताया कि अगर बच्चों का फीस नही लौटाया गया, और अभी छात्रों का एडमिशन नही लिया गया तो वे बच्चों के भविष्य के लिए उग्र आंदोलन करने हेतु बाध्य होंगे। उन्होंने क्षेत्र के स्थानीय नेताओं और लोकप्रिय विधायक से निवेदन किया है कि इस मामले में हस्तक्षेप कर प्रिंसिपल पर कठोर कार्यवाही करें।